अंतर्जगातीय ''त्रेक्ष्नाये
''कनक '''....स्रेनिगत '''वास्तव का यह ''एक '''परिमाण ''''जो है
वह ''''अनाहत _सोर्वर्जीय .....''अकर्नता ...एवं ....{ जागृत }...नव्परिध्हन ''रूप
''''स्थापित '''है
यही ''इसकी '''_'' क ''न '''क '''_सज्ञा _है ..जो ''''कीमत ...+..कीमत ...=..सापेक्ष _
अहर्गन ....''निरपेक्ष '''__अनुसंधानीय '''विपक्ष ''''स्थित है
वेदों _में _इसे _'नुर्वतीय '''नेति ''खा गया है {..आक्रुश्नेना ''रजसा वर्तमानो ''}
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