kaisa rhe..???
''श्रुति _सम्पन्न ..''.रहे ...उस समय {..याने ''अभी ..वर्तमान ..में जो चल रहा है ..वह भी ..}जो चल
रहा है ..उसका भी ज्ञान उसे रहे ..{..वह भॉतिक दृष्टिकोण से ..''पूर्ण ज्ञानी ''रहना ''आवश्यक है ..}..
वह ब्रम्हानिष्ठ ...{..उसकी ''ब्रम्ह से ...'पूर्ण परिचयता रहना आवश्यक है ..}''उसे ब्रम्ह का ..
''साक्षात्कार ..''...हुआ ऐसा होना चाहिए ...''जिसे सायन्स विषय आता नही ''उसके पास ''
सायन्स सिखने जाना
__यह कार्य तो ''मूर्खतापूर्ण है ...ऐसे सद्गुरु के पास जाना चाहिए ...''लेकिन ''खा ली हाथ नही ''
क्यों ?
क्यों की ''फ़ोकट ''..का ज्ञान भी ''काम ''..का ..नहीं ..कुछ तो लेके जाना ही चाहिए ...{..इस का अर्थ यह नही है
की ..उन्हें ...''पैसो ''की आवश्यकता रहती है। ..}..लेके जाने का अर्थ यह है की ..'सम्र्पनता का बोध रहे
''श्रुति _सम्पन्न ..''.रहे ...उस समय {..याने ''अभी ..वर्तमान ..में जो चल रहा है ..वह भी ..}जो चल
रहा है ..उसका भी ज्ञान उसे रहे ..{..वह भॉतिक दृष्टिकोण से ..''पूर्ण ज्ञानी ''रहना ''आवश्यक है ..}..
वह ब्रम्हानिष्ठ ...{..उसकी ''ब्रम्ह से ...'पूर्ण परिचयता रहना आवश्यक है ..}''उसे ब्रम्ह का ..
''साक्षात्कार ..''...हुआ ऐसा होना चाहिए ...''जिसे सायन्स विषय आता नही ''उसके पास ''
सायन्स सिखने जाना
__यह कार्य तो ''मूर्खतापूर्ण है ...ऐसे सद्गुरु के पास जाना चाहिए ...''लेकिन ''खा ली हाथ नही ''
क्यों ?
क्यों की ''फ़ोकट ''..का ज्ञान भी ''काम ''..का ..नहीं ..कुछ तो लेके जाना ही चाहिए ...{..इस का अर्थ यह नही है
की ..उन्हें ...''पैसो ''की आवश्यकता रहती है। ..}..लेके जाने का अर्थ यह है की ..'सम्र्पनता का बोध रहे
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