यह''वास्तव''में'' सोंदर्य''+ परन्तु'' विज्ज्व्मार्थारंतुम''''+ है....
क्यों?????
क्यों की आन्तरिक_द्वित'भाव''तर्ज ''कभी'' '+' नहीं_होता''' कहा''जरुर''जाता''है''की''
आन्तरिक_सुन्दरता_किन्तु_उसे_'देख.'.जान.'..ज्ञात...'{?}..यह''किसीको''नहीं''मालूम'''
केवल_''भ्रम '' + है ....
क्यों?????
क्यों की आन्तरिक_द्वित'भाव''तर्ज ''कभी'' '+' नहीं_होता''' कहा''जरुर''जाता''है''की''
आन्तरिक_सुन्दरता_किन्तु_उसे_'देख.'.जान.'..ज्ञात...'{?}..यह''किसीको''नहीं''मालूम'''
केवल_''भ्रम '' + है ....
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