एक दिन …
अक्व्य्क्ति मेरेपास आया …
मैंने उसे ' साक्षत्कार +
''वह कहने लगा ''यह ''अध्यात्म '''मुजे चाहिए था '''
मगर '''क्यों नहीं मिला ''''
मै … निरंकारी । राधास्वामी ।पन्थ से हु ''
+… मैंने कहा …
''वो । अँधेरे । ही भले थे की कदम रह पे थे …
रौशनी लायी है ''मंजिल ''से दूर तुम्हे ''
आज सेंकडो '''हजारो ''लाखो ''' असली ''अध्यात्म ''हेतु ''भटक ''रहे है
और '''पन्थ '''उन्हें '''सिर्फ '''पथ '''पे ''ही ''अटका '''रहे / रखे '''है
अक्व्य्क्ति मेरेपास आया …
मैंने उसे ' साक्षत्कार +
''वह कहने लगा ''यह ''अध्यात्म '''मुजे चाहिए था '''
मगर '''क्यों नहीं मिला ''''
मै … निरंकारी । राधास्वामी ।पन्थ से हु ''
+… मैंने कहा …
''वो । अँधेरे । ही भले थे की कदम रह पे थे …
रौशनी लायी है ''मंजिल ''से दूर तुम्हे ''
आज सेंकडो '''हजारो ''लाखो ''' असली ''अध्यात्म ''हेतु ''भटक ''रहे है
और '''पन्थ '''उन्हें '''सिर्फ '''पथ '''पे ''ही ''अटका '''रहे / रखे '''है
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