यह कोई ' शीकायत नहीं है "उस बंडलेश्वर जो 'पिछली बार ' रजक समाज का अपमान कर चूका और खुद अभी भी व्यासपीठ पर बैठ बड़ी बड़ी बातो के बण्डल मार ' जनता कोउल्लू ब ना रहा है ._खुद स्वयं को उच्च सिद्ध
कर बाकि के साधू_सन्यासियों_को_ उपदेश_दे_दे_कर_उन_की_ बुराईयों के अम्बार खड़े कर रहा है
कर बाकि के साधू_सन्यासियों_को_ उपदेश_दे_दे_कर_उन_की_ बुराईयों के अम्बार खड़े कर रहा है
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