आज हीन्दुस्थान एक मरता हुआ देश है
यहाँ की सरकार अन्धाधुन्ध वृक्षों को काटरही है रास्तें बड़े करने हेतू ,और दुसरीतरफ करोड़ों वृक्ष लगाने की योजनाओं पर अन्धाधुन्ध पैसा खर्च हो रहा है ,
यह भी नही मालुम ईन भोन्दु राजनितीज्ञों को कि
कौनसे वृक्ष लगाने चाहिए
और
पब्लिक
भी
बेवकुफों
की
तरह
कोई भी वृक्ष लगा रही है ,जो वृक्ष
लगाऐं जा
रहे
है
वें
Global warming
को
और भी
जादा
बढा़ने
वालें
है ।
कुछेक वृक्ष है जो विव्व्द्मिज्ञ्ण्ड्द्भैषणात्मक रुप से ही लगाने होते है, तभी ग्लोबल वार्मिंग पर वह कार्य करेंगे , लेकिन ईन भोन्दुओं को यह कौन समझाऐ ,मनमाने ढंग से कियाहुआ वृक्षारोपण यह आगे की पिढियों के लिए घातक ही होगा । क्योंकि ईससे न केवल् Carbon Dioxide बल्कि मिथेन और Helium भी जादा प्रमाण् मे उत्सर्जिन होकर ईस Planet को पूरी तरह ' बियाबान' बना देंगे।
यहाँ की सरकार अन्धाधुन्ध वृक्षों को काटरही है रास्तें बड़े करने हेतू ,और दुसरीतरफ करोड़ों वृक्ष लगाने की योजनाओं पर अन्धाधुन्ध पैसा खर्च हो रहा है ,
यह भी नही मालुम ईन भोन्दु राजनितीज्ञों को कि
कौनसे वृक्ष लगाने चाहिए
और
पब्लिक
भी
बेवकुफों
की
तरह
कोई भी वृक्ष लगा रही है ,जो वृक्ष
लगाऐं जा
रहे
है
वें
Global warming
को
और भी
जादा
बढा़ने
वालें
है ।
कुछेक वृक्ष है जो विव्व्द्मिज्ञ्ण्ड्द्भैषणात्मक रुप से ही लगाने होते है, तभी ग्लोबल वार्मिंग पर वह कार्य करेंगे , लेकिन ईन भोन्दुओं को यह कौन समझाऐ ,मनमाने ढंग से कियाहुआ वृक्षारोपण यह आगे की पिढियों के लिए घातक ही होगा । क्योंकि ईससे न केवल् Carbon Dioxide बल्कि मिथेन और Helium भी जादा प्रमाण् मे उत्सर्जिन होकर ईस Planet को पूरी तरह ' बियाबान' बना देंगे।
सही कह रहा हु
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