कारण मस्य जन्तो :
बन्ध्हस्य मोक क्ष स्य च वा विधा ने .....
व्यक्ति का जो सत्य तत्व है वह कभी ''ब ध्हा नहि रहता
फिर उसके स्वरुप का ''मोक्ष '''का प्रश्न ही कहा है ?
जब कोई सत्य अर्थह से ''मुक्त ही रहता है तब ''ऊसे ..''....बंध्ह नही और मोक्ष भी नही
वह ...वैसा भी ..''मुक्त '' ही तो है ''बंधह और मोक्ष '' की स्ठिती इसका सिर्फ मन की अवस्ठा के संदर्भा में ही अर्थह लगाया जा सकता है
जब मन विक्षेप अवस्ठा में रहता है तब वह ''व्यक्ति ''..बंध्हन में है यह कह सकते है
''रजोगुण ''यह मन की विक्षेप का प्रमुख कारन होता है यह रजो गुण अपना प्रभाव दिखा सकता है न यह '''त मो गुण के कारण ही ...जब जब मन में रजो गुण होगा तब तब वह अध्हिक विक्षेपित रहेगा ..। और इसीलिए वह '''''''बन ध्हन '''''' में कहा जायेगा
बन्ध्हस्य मोक क्ष स्य च वा विधा ने .....
व्यक्ति का जो सत्य तत्व है वह कभी ''ब ध्हा नहि रहता
फिर उसके स्वरुप का ''मोक्ष '''का प्रश्न ही कहा है ?
जब कोई सत्य अर्थह से ''मुक्त ही रहता है तब ''ऊसे ..''....बंध्ह नही और मोक्ष भी नही
वह ...वैसा भी ..''मुक्त '' ही तो है ''बंधह और मोक्ष '' की स्ठिती इसका सिर्फ मन की अवस्ठा के संदर्भा में ही अर्थह लगाया जा सकता है
जब मन विक्षेप अवस्ठा में रहता है तब वह ''व्यक्ति ''..बंध्हन में है यह कह सकते है
''रजोगुण ''यह मन की विक्षेप का प्रमुख कारन होता है यह रजो गुण अपना प्रभाव दिखा सकता है न यह '''त मो गुण के कारण ही ...जब जब मन में रजो गुण होगा तब तब वह अध्हिक विक्षेपित रहेगा ..। और इसीलिए वह '''''''बन ध्हन '''''' में कहा जायेगा
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