विवेक वैराग्य गुनती रिका शु ध्ह त्व मासा ध्य ..मनो विमुक्ते
जिस व्यक्ति में विवेक वैराग्य एन दो गुणों का प्रभाव जादा रहता है तब ''उसे ..'' चित शु द ध्ही जादा मिलती है नित्य और अनित्य ...प्रकृति और छैतान्य ...आत्म वास्तु और अनात्मा वास्तु इनमे का फरक करने का सामर्थ्य उसे प्राप्त यह विवेक कहलाता है ....'''''जो प्रकृति प्रध्हन और अनित्य है उसे ''''अक दम से नकार देना ....और शुर वीरता यह '''''वैराग्य '''कह लता है
''''इन्द्रिय सुखो को वह ज्ञान पूर्वक त्याग दे ...''''''
इससे वैराग्य ब ढह ता है
श्रुति ग्रंठ का अभ्यास अवं छिन्तन मनन यह विवेक को बढहआ ती है
जिस व्यक्ति में विवेक वैराग्य एन दो गुणों का प्रभाव जादा रहता है तब ''उसे ..'' चित शु द ध्ही जादा मिलती है नित्य और अनित्य ...प्रकृति और छैतान्य ...आत्म वास्तु और अनात्मा वास्तु इनमे का फरक करने का सामर्थ्य उसे प्राप्त यह विवेक कहलाता है ....'''''जो प्रकृति प्रध्हन और अनित्य है उसे ''''अक दम से नकार देना ....और शुर वीरता यह '''''वैराग्य '''कह लता है
''''इन्द्रिय सुखो को वह ज्ञान पूर्वक त्याग दे ...''''''
इससे वैराग्य ब ढह ता है
श्रुति ग्रंठ का अभ्यास अवं छिन्तन मनन यह विवेक को बढहआ ती है
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