28_8_2016_रात्रि 7'31
स्वामि शिशुविदेहानन्द सरस्वती
श्रिदुर्गारक्ताम्बरा शक्तिपीठ संस्थापक अध्यक्ष स्वामि शिशुविदेहानन्द सरस्वती तिवारी महाराज ' तिवारी का बाडा ' कारंजा दत्त 444105 जिला वाशिम महाराष्ट्र
|| अनंतजन अंतरराष्ट्रिय मानवचेतना आंदोलन ||
माँ मीराबाई ह तिवारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम सव्वाकरोड मिट्टी के शिवलिंगम् निर्माण
में शामिल विश्व के अनेकानेक
सव्वाकरोड शिवलिंगम् के
पहले चरण
एकतालिस लाख ग्यारह हजार पांच सौ
41 लाख 11 हजार 500
उद्देश ___ ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन हो कर जो
निगेटीवीटीयां उत्पन्न हुई उनको दूर करना ओजोन की परत के गढ्ढे भरना
जल संरक्षण कार्य
माँ मीराबाई ह तिवारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम सववाकरोड मिट्टी के शिवलिंग निर्माण में विश्व के अनेकानेक व्यक्ति
||| अथातों संस्कृत जिद्न्यासा |||
_____________________________________________
पाठ नंबर ( 7 ) ता 28_8_2016_'7"45
होने के रूप में उपयोग होने वाली ' भू ' धातु के
वर्तमान काल के लट् लकार के तीनों पुरूषों एवं
सभी वचनों के रूप बताता हूँ
प्रथम पुरूष एकवचन
स: भवति = वह होता है | मध्यम पुरूष एकवचन
प्रथम पुरूष द्विवचन | त्वं भवसि = तुम होते हो
तौ भवत: = वे दोनों होते हैं | मध्यम पुरूष द्विवचन
प्रथम पुरूष बहुवचन | युवां भवत: = तुम दोनों होते हो
ते भवन्ति = वे सब होते हैं | मध्यम पुरूष बहुवचन
| युयं भवत:=तुम सब होते हो
उत्तम पुरूष एकवचन
अहं भवामि = मै होता हूँ |
उत्तम पुरूष द्विवचन
अहं भवाव: = हम दोनों होते हैं |
उत्तम पुरूष बहुवचन
वयं भवाम: = हम सब होते हैं |
|| पद ज्ञान ||
संस्कृत में सार्थकशब्द को प्रतिपदिक कहते हैं , उदाहरण -: राम
ऐसै ही व्यापारविहिन ' क्रिया ' धातु कही जाती है
प्रतिपदिक के साथ विभक्ति जुडने पर वह ' पद ' कहलाएगा
ऐसे ही धातु के साथ व्यापार बोधक प्त्यय जुडने पर
वह भी पद ही कहलाएगा
शब्दो का जब व्याकरणिक संस्कार हो जाता है, तो वह पद कहलाता है,
पद दो प्रकार का होता है, सुब्न्त और तिङन्त
' सुप्तिङन्त पदम् '
क्रिया पद के मुल रूप को धातु कहते हैं.
उदाहरण :- गम् = जाना
पठ् = पढना
कृ = करना
अस् = होना
स्वामि शिशुविदेहानन्द सरस्वती
श्रिदुर्गारक्ताम्बरा शक्तिपीठ संस्थापक अध्यक्ष स्वामि शिशुविदेहानन्द सरस्वती तिवारी महाराज ' तिवारी का बाडा ' कारंजा दत्त 444105 जिला वाशिम महाराष्ट्र
|| अनंतजन अंतरराष्ट्रिय मानवचेतना आंदोलन ||
माँ मीराबाई ह तिवारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम सव्वाकरोड मिट्टी के शिवलिंगम् निर्माण
में शामिल विश्व के अनेकानेक
सव्वाकरोड शिवलिंगम् के
पहले चरण
एकतालिस लाख ग्यारह हजार पांच सौ
41 लाख 11 हजार 500
उद्देश ___ ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन हो कर जो
निगेटीवीटीयां उत्पन्न हुई उनको दूर करना ओजोन की परत के गढ्ढे भरना
जल संरक्षण कार्य
माँ मीराबाई ह तिवारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम सववाकरोड मिट्टी के शिवलिंग निर्माण में विश्व के अनेकानेक व्यक्ति
||| अथातों संस्कृत जिद्न्यासा |||
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पाठ नंबर ( 7 ) ता 28_8_2016_'7"45
होने के रूप में उपयोग होने वाली ' भू ' धातु के
वर्तमान काल के लट् लकार के तीनों पुरूषों एवं
सभी वचनों के रूप बताता हूँ
प्रथम पुरूष एकवचन
स: भवति = वह होता है | मध्यम पुरूष एकवचन
प्रथम पुरूष द्विवचन | त्वं भवसि = तुम होते हो
तौ भवत: = वे दोनों होते हैं | मध्यम पुरूष द्विवचन
प्रथम पुरूष बहुवचन | युवां भवत: = तुम दोनों होते हो
ते भवन्ति = वे सब होते हैं | मध्यम पुरूष बहुवचन
| युयं भवत:=तुम सब होते हो
उत्तम पुरूष एकवचन
अहं भवामि = मै होता हूँ |
उत्तम पुरूष द्विवचन
अहं भवाव: = हम दोनों होते हैं |
उत्तम पुरूष बहुवचन
वयं भवाम: = हम सब होते हैं |
|| पद ज्ञान ||
संस्कृत में सार्थकशब्द को प्रतिपदिक कहते हैं , उदाहरण -: राम
ऐसै ही व्यापारविहिन ' क्रिया ' धातु कही जाती है
प्रतिपदिक के साथ विभक्ति जुडने पर वह ' पद ' कहलाएगा
ऐसे ही धातु के साथ व्यापार बोधक प्त्यय जुडने पर
वह भी पद ही कहलाएगा
शब्दो का जब व्याकरणिक संस्कार हो जाता है, तो वह पद कहलाता है,
पद दो प्रकार का होता है, सुब्न्त और तिङन्त
' सुप्तिङन्त पदम् '
क्रिया पद के मुल रूप को धातु कहते हैं.
उदाहरण :- गम् = जाना
पठ् = पढना
कृ = करना
अस् = होना
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