Tuesday 17 October 2017

अथातो - अध्यात्मीक विज्ञान जिद्न्यासा

पिताजी के स्पायनलकाँर्ड मे १३' नंबर का स्पाइन ( मणका ) खराब हो गया था और डाँक्टर ढोलकिया ने उनका आँपरेशन बाँम्बे हाऊसपिटल मे किया
टखने कि हड्डी का भाग चिरकर निकाला और वह स्पायनलकाँर्ड के १२/१३/१४/ इन नंबरो के मणकों( स्पाईन कि हड्डी ) मे जोडा, क्योंकि उससमय, बोन नही मिलता था ।
फिर घर पर आने के बाद पिताजी को बहुत दर्द होता था ,स्पायनलकाँर्ड की जगह का ' पिप् )निचे जहाँ किडनी रहती है वहा से बाहर निकलता था,बहुत तकलीफ होती थ उनको ,फिर मोहनलालजी ( पिताजी के पिताजी ) गनोरी ,ग्राम् मे रामदेवबाबा एक के आन्ग मे आते थे, उन्होंने बताया कि ईनको चाय मे संखवास गाव मे खिलाया गया है ,फिर माँ मिराबाई हरीकिसन तिवारि ने जो रामदेवबाबा की ज्योत् माँ रोज करती थी। फिर उस ज्योत की ' भस्म् ' उस पिपवाले स्थान पर खाने के पान मे बान्धकर लगादीया ,आश्चर्य यह की वह घाव,पिप एकदम सुख गया 

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