Sunday 18 February 2018

वरदानों

सागर के किनारे खडे होकर हम तैरने का लुफ्त नही उठा सकते, हमारे भितर की असुरक्षित ता ,हमे हमारे भितर के -'  मै  ' से परीचित कराती हैं।
असुरक्षित ता
एक ' वरदान ' हैं।
इसमें कुछ भी नकारात्मकता नहीं हैं ,
यह इन्सान को Spirituality अध्यात्मीक ता का परमानंद देतीं है,
और
उसे अपने कर्म के लिए प्रेरित करती हैं,
जीवन जीनें के लिए है और यह प्रकृति का अनमोल उपहार है इसीलीए
हमे खुलकर
जीना
चाहिए।।

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