Friday 10 November 2017

बैंडलेश्वर .....



एकबार मिसेस भार्गाव्जी की लड़की के हाथो हमने हमारा बनायाहुआ पर्यावरण पर का पुस्त्क्भेजा था _तो_तुमने_उसको_पढ़_कर उलटे_वाक्य_प्रवचनों_में_कहे_की_कोई_ पर्यावरण_को_अपने_अनुकूल'बनाना'चाहता'है' तुम्हे_शोभा_नहीं_देता बंडलेश्वरजी___ हम स्वामी आखनडानंदजी के शिष्य_है हम_ अपने संन्यास के पश्च्हत_ पर्यावरण संरक्षण_पर_कार्य_कर_रहे_है तुम्हारी''जैसी'' प्रवचनों''की'' मार्केटिंग''नहीं...., तुम अभी 'अधिकारी नहीं हो प्रवचनों_पर तुम्हे_समझना_चाहिए_कोई_हिमालय_के_गहन_बर्फीले_पहाड़ो-में- तपश्चर्या_करने_के_पश्चात्_तुम्हारी_जैसे_भोंदुओ_द्वारा_ इस_प्रकार_के_वचनों_को_सुन_कर_भी_अपने_कार्यो_में_रत_है_.......अबे___ बैंडलेश्वर ___अव्धेश्वराबंद
तुम्न्ने सोचना चाहिए की कोई अपने समस्त सुखो को छोड़कर _उनिवार्सल के कार्यो में लगा है ___और_तुम_अपने_व्यासपीठ_से_उसे_पर्यावरण_को_खुदके_अनुकूल_रखने'रखवाने_का_आरोप_लगा_रहे_हो_ तुम_सन्यासी_नहीं_हो_सकते_तुम_आसाराम''के''चेले''लगते''हो''''

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